नोएडा : शहीदी दिवस 23 मार्च पर नोएडा आफिस में आयोजित कार्यक्रम में शहीद भगत सिंह, राजगुरु, सुखदेव, की शहादत को नमन करते हुए उनके चित्र पर पुष्प अरपित कर समस्त न्यूज़ क्रांति इंडिया स्टाफ ने दी श्रद्धांजलि,
इस अवसर पर समस्त स्टाफ को सम्बोधित करते हुए संपादक धर्मेन्द्र सिंह ने कहा कि हिंदुस्तान में क्रांति के प्रतीक शहिदेआजम भगतसिंह, राजगुरू और सुखदेव के शहादत दिवस पर उन्हें शत शत नमन वंदन और अभिनंदन, आज के दिन लुटेरे अंग्रेजों ने हिंदुस्तान समाजवादी गणतंत्र संघ के इन दीवानों को बेबुनियाद तरीकों से मनमानी करके फांसी के तख्तों पर लटका दिया था, इन बहादुर स्वतंत्रता सेनानियों का जज्बा देखिये कि ये हंसते हंसते फांसी के फंदे को चूमते हुए फांसी पर चढ़गये,
फांसी पर लटकाये जाते वक्त राजगुरू की आयु 22 साल थी तो भगतसिंह 23 वर्ष के थे, आखिर इतनी छोटी सी उम्र में भगतसिंह और उनके साथियों की चाहत क्या थी, वे कैसे भारत का सपना देखते थे, कैसे भारत की कामना करते थे, कैसी सामाजिक व्यवस्था की स्थापना करना चाहते थे? आईये देखते हैं कि हमारे शहीदों के सपने कैसे थे,
जब हम भगतसिंह की बात करते हैं तो इसमें हमारे देश की आजादी के लिए लडने वाले हमारे सारे शहीद शामिल हैं, जैसे टीपू सुलतान, बहादुरशाह जफर, नाना साहिब, अजीमुल्ला खान ,महारानी लक्छमीबाई, अजीजन बाई, मंगल पांडे, पीर अली, वीर कुंवर सिंह, राजा महेंद्र प्रताप सिंह, बरकतुल्ला खान, एमएन राय, खुदी राम बोस, बिस्मिल, अश्फाकउल्ला खान, राजेंद्र नाथ लाहिडी, ठा रोशन सिंह, आजादों के आजाद चंद्रशेखर आजाद, शिव वर्मा, आदि. ये हजारों स्वतंत्रता सेनानी आखिर क्यों बलिदान हो गये और हंसते हंसते फांसी के तख्तों पर चढ़गये,
हमारे शहीदों ने एक ऐसे हिंदुस्तान का ख्वाब देखा था कि जिसमें सबको शिक्षा, सबको मुफ्त इलाज और सबको अनिवार्य ऱोजगार, अनिवार्य घर मिले, सबको मनोरंजन का मौका मिले, सबकी सुरक्षा हो, सब विकसित हों ,लोगों की अपनी पंचायतें हों, प्राकृतिक संसाधनों पर सबका अधिकार हो और इनका प्रयोग सबके विकास के लिये हो. गुलामी का समूल विनाश हो, सब आजाद हों, जनता का जनतंत्र हो और समाज में समाजवादी व्यवस्था कायम हो, लोगों में आपस में भाईचारा, सहयोग, सब भाई भाई की तरह अपना जीवन यापन करें. चारों तरफ सुख और शांति और सुकून भरी ज़िन्दगी हो,
क्रांति से भगतसिंह और उनके साथियों का मतलब था कि समाज में आमूलचूल परिवर्तन हो, पूंजिपति और सामंती व्यवस्था की जगह किसानों मजदूरों का राज्य और सरकार हो, यह क्रांति जनता द्वारा, जनता की और जनता के लिए होगी, सिर्फ हिंसा करना, मारना पीटना, आगजनी करने का नाम क्रांति या इंकलाब नही है, इंकलाब के मायने हैं कि समाज की विचारधारा में समाजवादी सोच और विचारधारा समा जाये,
उन्होंने कहा था कि असली क्रांतिकारी गांवों, देहातों, शहरों और कारखानों में रहते हैं और किसान औरत मजदूर ही असली क्रांतिकारी हैं, क्रांति से सबसे ज्यादा फायदा उन्हीं का होगा, वे ही तमाम जनधन के स्वामी हैं, उन्हीं को हजारों साल पुराने अन्याय भेदभाव शोषण जातिवाद साम्प्रदायिकता छल कपट और झूठ से मुक्ति मिलेगी,
भगतसिंह और उनके साथियों ने नौजवानों का आह्वान किया था कि वे गांवो गलियों देहात और कारखानों में जायें, जनता में क्रांतिकारी चेतना जगायें, उन्हें असली समाजवादी क्रांतिकारी बनाये ताकि समाजवादी व्यवस्था की स्थापना की जा सके, और लोगों को इस देश का असली शासक बनाया जा सके. भगतसिंह और उनके साथियों के नारे भी कमाल के थे. इन्हीं से अंदाजा लगाया जा सकता है कि हमारे शहीदों के सपने कैसे थे. इंकलाब जिंदाबाद, साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, समाजवादी समाज जिंदाबाद, सोवियत क्रांति जिंदाबाद, मजदूर राज्य की जय हो,
भगतसिंह और उनके साथियों ने लगभग 140 लेख लिखें हैं, जिनमें अकेले भगतसिंह ने 97 लेख देश और क्रांति की समस्याओं पर विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लिखें हैं. वे नाम बदल बदलकर कई अखबारों में लिखते थे जैसे, प्रताप और कीर्ति, मतवाला आदि. वे एक बहुत बडे लेखक थे, यह गणेश शंकर विद्यार्थी का प्रताप ही था जिसने भगतसिंह को असली भगतसिंह बनाया, उन्हें अपने विचारों को पुख्ता करने का मौका दिया,
भगतसिंह और उनके साथी साम्प्रदायिकता, जातिवाद के घनघोर विरोधी थे, वे किसी भी कीमत पर इन जनविरोधी दुष्प्रवृत्तियों का खात्मा चाहते थे.वे हिंदू मुस्लिम एकता के सबसे बड़े पैरोकार थे, बिस्मिल और अश्फाकउल्ला खान ने फांसी के तख्तों पर खडे होकर कहा था कि हमें असली क्रांतिकारी श्रध्दांजलि यह होगी की हमारे देश वासी किसी भी कीमत पर हिंदु मुस्लिम एकता को कायम रखें, सभी मिलकर अंग्रेज दुश्मनों से लोहा लें और सब मिलजुलकर उनका मुकाबला करें । श्रद्धांजलि समारोह में समस्त न्यूज़ क्रांति इंडिया स्टाफ मौजूद रहा ।